हरियाणा सरकार ने बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) श्रेणी के परिवारों के लिए मिलने वाले सरसों के तेल के दामों में बड़ा बदलाव किया है। पहले इन लाभार्थी परिवारों को दो लीटर फोर्टिफाइड सरसों का तेल मात्र 40 रुपये में मिलता था, लेकिन अब इसके लिए 100 रुपये का भुगतान करना होगा।
यह बदलाव जुलाई 2025 से लागू कर दिया गया है और करीब 46 लाख से अधिक BPL कार्डधारक परिवारों पर इसका असर पड़ेगा। सरकार का कहना है कि यह कदम सरकारी खजाने पर बढ़ते सब्सिडी के बोझ को कम करने और तेल की जरूरत के अनुसार खपत को ही प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया है।
हालांकि, विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे गरीब परिवारों के लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ बताया है।
Haryana Mustard Oil Price
पहले दो लीटर सरसों तेल की कीमत केवल 40 रुपये थी, यानी प्रति लीटर दर 20 रुपये। अब यह बढ़ाकर 100 रुपये कर दी गई है, यानी प्रति लीटर लगभग 50 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके साथ ही, अगर कोई परिवार केवल एक लीटर तेल लेना चाहता है, तो उसके लिए 30 रुपये का भुगतान निर्धारित किया गया है।
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अनुसार, सरकार को दो लीटर सरसों का तेल खरीदने में लगभग 300 रुपये का खर्च आता है। पहले इसमें से 260 रुपये तक का बोझ सरकार उठाती थी, लेकिन अब लाभार्थियों से वसूला जाने वाला हिस्सा बढ़ा दिया गया है, जिससे सब्सिडी का दबाव कम होगा।
इस बढ़ोतरी के चलते सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये की बचत होने का अनुमान है। उदाहरण के लिए, करनाल जिले में करीब 3 लाख बीपीएल परिवार पंजीकृत हैं, और अगर प्रत्येक परिवार से 60 रुपये अतिरिक्त वसूले जाते हैं, तो प्रति माह लगभग 1.8 करोड़ रुपये की बचत संभव है।
योजना का विवरण और लाभार्थी
यह बदलाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत लागू हुआ है। इस योजना के अंतर्गत गरीब और अति गरीब परिवारों को गेहूं, चीनी और फोर्टिफाइड सरसों का तेल सब्सिडी दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।
हरियाणा में 46 लाख से अधिक BPL परिवार और लगभग 18 लाख AAY परिवार इस योजना से लाभान्वित होते हैं। इनमें ज्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले, कृषि या मजदूरी पर निर्भर, कम आय वर्ग के लोग शामिल हैं।
तेल की आपूर्ति और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इसका वितरण हरियाणा स्टेट कोऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन (HAFED) और हरियाणा एग्रो कॉर्पोरेशन के माध्यम से किया जाता है। ये संस्थाएं तेल की खरीद, भंडारण और राज्यभर के राशन डिपो तक समय पर पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाती हैं।
सरकार का उद्देश्य और तर्क
राज्य सरकार का कहना है कि लगातार बढ़ती महंगाई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण सब्सिडी की लागत कई गुना बढ़ गई है। यही वजह है कि लाभार्थियों से अब पहले की तुलना में अधिक राशि ली जा रही है।
सरकार का मानना है कि नई दर तय करने से तेल के दुरुपयोग और अनावश्यक खपत पर भी रोक लगेगी। इसके अलावा, जिन परिवारों की तेल की जरूरत एक लीटर प्रति माह ही है, वे केवल एक लीटर खरीदकर पैसे बचा सकते हैं।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
कीमत में यह अचानक और बड़ा इजाफा गरीब परिवारों के लिए चिंता का विषय है। विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों और कुछ उपभोक्ता समूहों ने इसे “गरीब विरोधी” फैसला बताते हुए वापस लेने या कम करने की मांग की है।
विरोधियों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जब खाद्य पदार्थों और रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम पहले ही बढ़ चुके हैं, ऐसे में आवश्यक वस्तु सरसों तेल की कीमत बढ़ाने से गरीबों का बजट पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।
लागू करने की प्रक्रिया और वितरण प्रणाली
राशन प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों को अपने नजदीकी सरकारी राशन डिपो पर जाना होता है। लाभार्थी का नाम और विवरण ऑनलाइन PDS पोर्टल पर दर्ज होना चाहिए। राशन कार्ड दिखाकर प्रति माह तय मात्रा में गेहूं, चीनी और सरसों का तेल लिया जा सकता है।
राज्य सरकार ने वितरण प्रणाली को डिजिटल बना दिया है, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है और फर्जी राशन कार्ड या घूसखोरी जैसे मामलों पर रोक लगी है। वितरण की पूरी प्रक्रिया POS मशीन के जरिए आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ होती है, जिससे गलत लाभार्थियों को राशन मिलने की संभावना कम हो गई है।
निष्कर्ष
हरियाणा सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को मिलने वाले सरसों के तेल की कीमतों में किया गया बदलाव सब्सिडी बोझ कम करने और वितरण प्रणाली को और व्यवस्थित बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि, इसका तत्काल प्रभाव गरीब परिवारों पर आर्थिक दबाव के रूप में होगा।
सरकार को समय-समय पर इस फैसले के असर की समीक्षा करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर विशेष श्रेणी के अत्यंत गरीब परिवारों के लिए पुरानी सब्सिडी दरें बहाल करनी चाहिए, ताकि उनकी मूलभूत आवश्यकताएं प्रभावित न हों।