आज के समय में तकनीक ने हर क्षेत्र में बड़ी क्रांति ला दी है। पहले जिन कामों में लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता था और दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे, अब वही काम कुछ मिनटों में घर बैठे किए जा सकते हैं। इसी दिशा में सरकारों ने एक और बड़ा कदम उठाया है। अब जमीन या संपत्ति की रजिस्ट्री भी डिजिटल तरीके से घर बैठे की जा सकेगी।
पहले रजिस्ट्री कराने के लिए तहसील या रजिस्ट्री दफ्तर जाना जरूरी होता था। कई बार लोगों को दलालों के चक्कर में भी फंसना पड़ता था और काफी समय व पैसा दोनों बर्बाद हो जाते थे। लेकिन नए नियम के लागू होने के बाद यह प्रक्रिया पूरी तरह आसान और पारदर्शी बनने जा रही है।
यह व्यवस्था ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया मिशन का ही हिस्सा है। सरकार का उद्देश्य है कि नागरिकों को बुनियादी सेवाएँ सीधे उनके घर से, सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध हों। इसका फायदा खासकर ग्रामीण इलाकों के लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को बहुत मिलेगा।
Land Registry New Rule
सरकार ने जमीन के रजिस्ट्रेशन और दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल प्रणाली पर लागू करने का फैसला किया है। अब रजिस्ट्री कराने वाले लोगों को ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी भरनी होगी। इस पोर्टल पर खरीदार और विक्रेता दोनों के विवरण दर्ज किए जाएंगे।
सभी जरूरी कागजात जैसे पहचान पत्र, संपत्ति का पुराना रिकार्ड, नक्शा आदि डिजिटली अपलोड करने की सुविधा मिलेगी। इसके बाद संबंधित अधिकारी उन दस्तावेजों को ऑनलाइन ही सत्यापित करेंगे। सत्यापन के बाद रजिस्ट्री की कॉपी ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएगी और चाहें तो नागरिक उसे प्रिंट भी कर सकते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोमेट्रिक सत्यापन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। दोनों पक्षों की पहचान को आधार कार्ड या अन्य प्रमाणित तरीकों से मिलाया जाएगा ताकि जालसाजी और फर्जीवाड़े की संभावना बिल्कुल न्यून हो।
सरकार की योजना और उद्देश्य
यह पहल “डिजिटल भूमि रजिस्ट्री योजना” के अंतर्गत शुरू की गई है। सरकार का लक्ष्य है कि देश के हर राज्य में जमीन और संपत्ति की खरीद-फरोख्त का काम पूरी तरह से पारदर्शी और तेज गति से हो।
कई बार अदालतों में संपत्ति विवाद इस कारण से बढ़ जाते हैं क्योंकि पुराने कागजात गुम हो जाते हैं या फेरबदल कर दिए जाते हैं। डिजिटल रजिस्ट्री से अब सभी रिकॉर्ड हमेशा के लिए सुरक्षित सर्वर पर रहेंगे। इससे किसी भी तरह का विवाद आसानी से सुलझ सकेगा।
साथ ही, इस योजना से रिश्वतखोरी और बिचौलियों की भूमिका पर भी अंकुश लगेगा। लोग सीधे ऑनलाइन प्रक्रिया से काम करेंगे, जिससे अतिरिक्त खर्च और समय दोनों की बचत होगी।
नए नियम से जनता को क्या लाभ होगा
इस नियम के लागू होने से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोगों को अब दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। पहले रजिस्ट्री में कई दिन और कभी-कभी हफ्ते भी लग जाते थे, लेकिन अब यह प्रक्रिया कुछ घंटों में पूरी हो जाएगी।
रजिस्ट्री की पूरी जानकारी डिजिटल रूप से उपलब्ध रहने के कारण पारदर्शिता बढ़ेगी। यदि किसी को भविष्य में अपनी रजिस्ट्री की कॉपी चाहिए तो वह आसानी से पोर्टल से डाउनलोड कर सकेगा। इससे नकली या डुप्लीकेट दस्तावेज़ों की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों के लोग भी इंटरनेट के माध्यम से अपने कागजात अपलोड कर आसानी से रजिस्ट्री करा पाएंगे। इससे विकास के अवसर हर कोने तक पहुँचने में मदद मिलेगी।
रजिस्ट्री कराने की प्रक्रिया
अगर कोई व्यक्ति नई व्यवस्था के तहत रजिस्ट्री कराना चाहता है तो सबसे पहले उसे सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर जाना होगा। पोर्टल पर खरीदार और विक्रेता दोनों की जानकारी, संपत्ति का विवरण और आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए जाएंगे।
इसके बाद बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन किया जाएगा। खरीदार और विक्रेता की पहचान ऑनलाइन पुष्टि होने के बाद अधिकारी दस्तावेज़ों की जाँच करेंगे। सत्यापन पूरा होने पर डिजिटल रूप से प्रमाणित रजिस्ट्री कॉपी उपलब्ध हो जाएगी।
कोई भी व्यक्ति इस प्रक्रिया में अपने घर, लैपटॉप या मोबाइल से भाग ले सकता है। यह सुविधा पूरी तरह सुरक्षित तरीके से विकसित की गई है ताकि नागरिकों का डेटा और निजी जानकारी सुरक्षित रहे।
भविष्य में क्या बदलाव होंगे
जमीन की रजिस्ट्री का डिजिटलीकरण भविष्य में कई नई संभावनाओं का मार्ग भी खोलेगा। जब सभी रिकॉर्ड डिजिटल होंगे तब बैंक से लोन लेना भी बहुत सरल हो जाएगा क्योंकि बैंक सीधे रजिस्ट्री रिकॉर्ड ऑनलाइन चेक कर सकेंगे।
इसके अलावा, ई-गवर्नेंस के इस कदम से संपत्ति बाज़ार में पारदर्शिता और विश्वास का स्तर और भी बढ़ेगा। धोखाधड़ी करने वालों के लिए यह व्यवस्था बड़ी चुनौती साबित होगी।
निष्कर्ष
जमीन और घर की रजिस्ट्री का नया नियम लोगों के लिए राहत लेकर आया है। अब हर नागरिक घर बैठे अपने दस्तावेज पूरे कर सकेगा और सुरक्षित रूप से रजिस्ट्री करा पाएगा।
यह कदम न केवल समय और पैसे की बचत करेगा बल्कि पारदर्शिता और भरोसे को भी मजबूत करेगा। डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत उठाया गया यह कदम संपत्ति लेन-देन की प्रक्रिया को पूरी तरह बदल देने वाला साबित होगा।